Junior Movie Review: जबरदस्त लॉन्च के चक्कर में भटक गई कहानी, भावनाओं में डूबा कमजोर तर्क

Junior मूवी रिव्यू: भावना में बहती कहानी, लॉजिक और नयापन नदारद

Radha Krishna Reddy के निर्देशन में बनी ‘Junior’ से Kireeti Reddy ने साउथ इंडस्ट्री में अपना डेब्यू किया है। फिल्म में इमोशंस की भरमार है, लेकिन स्क्रिप्ट की कमजोरी और बेमतलब की घटनाएं फिल्म को बोरिंग बना देती हैं। यह फिल्म एक टिपिकल फैमिली ड्रामा है, जिसे बनाने की कोशिश तो अच्छी थी लेकिन उसे दिखाने का तरीका बासी और असंतुलित लगने लगता है।

कहानी की शुरुआत: यादें बनाने का जूनून

फिल्म का मुख्य किरदार ‘अभी’ (Kireeti Reddy) अपने जीवन में सिर्फ एक चीज चाहता है — यादें बनाना। उसका मानना है कि जिंदगी को हर पल जीना चाहिए। यह सोच उसमें उसके पिता ‘कोडंदपानि’ (V Ravichandran) की वजह से आई है, जो उसे अकेले ही पालते हैं और ओवर-प्रोटेक्टिव भी हैं।

लेकिन एक ऐसा मोड़ आता है जब अभी को समझ आता है कि उसकी जिंदगी का मकसद सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि किसी और के लिए यादें बनाना है। यहीं से फिल्म में इमोशनल ड्रामा शुरू होता है जो धीरे-धीरे हावी होता जाता है।

पहले हाफ में मस्ती, लेकिन बिना मकसद के

फिल्म का पहला हाफ कॉलेज लाइफ की मस्ती और कुछ हल्के-फुल्के पलों पर फोकस करता है। Spoorthi (Sreeleela), जो अभी की क्लासमेट और क्रश है, उसकी मौजूदगी भी कहानी को बहुत नहीं निखारती क्योंकि उसका किरदार अधूरा लगता है। दोस्ती, कॉलेज के झगड़े, और कुछ बेवजह के झगड़ों के अलावा कुछ खास नहीं मिलता।

Devi Sri Prasad का म्यूजिक जरूर इन सीन्स को थोड़़ा जानदार बनाता है, और Kireeti का डांस भी आकर्षक है, लेकिन कमजोर लेखन की वजह से इन पलों की कोई ठोस बुनियाद नहीं बन पाती।

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Genelia की एंट्री से फिल्म में आता है ट्विस्ट

Genelia Deshmukh की एंट्री से फिल्म कुछ देर के लिए ट्रैक पर आती है। वो Vijaya का किरदार निभा रही हैं — एक स्ट्रॉन्ग, आत्मनिर्भर महिला जो एक ग्लोबल कंपनी की CEO है। उनका किरदार Trivikram Srinivas की फिल्मों की याद दिलाता है जहां महिला पात्र नायक को चुनौती देती हैं।

Genelia और Kireeti के बीच कुछ सीन्स में गहराई है, लेकिन ये लम्हे बहुत जल्दी खत्म हो जाते हैं क्योंकि स्क्रिप्ट एक बार फिर क्लिशे और बेहूदा टर्न्स पर लौट आती है।

लॉजिक को किया गया नजरअंदाज

फिल्म में कई जगह लॉजिक की कमी खटकती है। जैसे एक कंपनी की पूरी टीम CEO के साथ एक गांव में CSR एक्टिविटी के लिए क्यों शिफ्ट होगी? कुछ किरदारों को बस इसलिए दूर रखा गया ताकि जबरदस्ती का ड्रामा पैदा किया जा सके। मेडिकल कंडीशन को मोड़ना-तोड़ना केवल इसलिए किया गया ताकि फिल्म में सरप्राइज एलिमेंट डाला जा सके। लेकिन ये सब बहुत बनावटी लगता है।

क्या कुछ अच्छा भी है?

  • Ravichandran का परफॉर्मेंस शानदार है, एक भावुक पिता के रूप में वो दिल को छू जाते हैं।
  • Genelia की वापसी भी प्रभावशाली है।
  • Cinematography KK Senthil Kumar की है, जिनके फ्रेम्स फिल्म को विजुअली रिच बनाते हैं।
  • प्रोडक्शन डिजाइन भी अच्छा है और तकनीकी टीम ने अपना काम ठीक से किया है।
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Kireeti की परफॉर्मेंस कैसी रही?

Kireeti का अभिनय खास असर नहीं छोड़ता। डेब्यू होने के कारण उनसे ज्यादा उम्मीद भी नहीं की गई थी, लेकिन उनके पास ऐसा कोई सीन नहीं था जो उन्हें अभिनेता के रूप में चमकने का मौका देता।

निष्कर्ष: भावना में बह गया लॉन्चपैड

Junior एक तरफ Kireeti Reddy के लिए एक भव्य लॉन्चपैड बनने की कोशिश करती है, वहीं दूसरी तरफ एक इमोशनल फैमिली ड्रामा दिखाने का दावा करती है। लेकिन इन दोनों उद्देश्यों को पूरा करने के चक्कर में फिल्म भटक जाती है। न कहानी में नयापन है, न स्क्रिप्ट में कसाव। फिल्म के पास कुछ अच्छे मौके थे, लेकिन वो उन्हें पकड़ नहीं पाई।

Junior को हमारी तरफ से मिलते हैं 2.5 स्टार

Disclaimer:

यह समीक्षा पत्रकारिता के उद्देश्य से तैयार की गई है। इसमें फिल्म की सामग्री, अभिनय और तकनीकी पहलुओं का विश्लेषण किया गया है। इसका उद्देश्य दर्शकों को सही जानकारी देना है, न कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना।

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